Dua Mangne Ka Tarika – दुआ मांगने का सही तरीका

आज हम और आप जानेंगे कि दुआ मांगने का तरीका दुरुस्त कैसा होता है, हम सभी मोमिनों को अपने रब से हमेशा दुआ करनी चाहिए क्यूंकि दुआवों से तकदीर बदल जाती है।

हम सभी को अपने अल्लाह से हर चीज की खातिर हर इच्छा के लिए दुआ करनी चाहिए क्योंकि अल्लाह के अलावा कोई देने वाला नहीं है और हमारा रब मांगने वालों को पसंद भी करता है।

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हम सभी ही मोमिनों का अल्लाह के साथ एक बहुत ही मजबूत और कभी न टूटने वाला रिश्ता है, हम सभी को जिंदगी के हर वक्त हर मोड़ पर अपने रब की जरूरत पड़ती है।

क्योंकि सहारे की जरूरत इंसान को हर वक्त होती है, ऐसे में हम सभी लोग अपने सहारा और मदद के लिए अल्लाह से राब्ता करते हैं।

Dua Mangne Ka Tarika

  • दुआ मांगने के लिए सबसे बेहतर व आला तरीका यह है कि दुरूस्त तरीके से गुस्ल और वजू मुक्कमल करने के बाद किब्ले यानि काअबा शरीफ की ओर मुंह करके बैठ जाएं।
  • यहां पर भी ध्यान देने योग्य यह बात है कि आप बायां पैर बिछा कर बैठना है, जिस तरह से तशहहुद यानि अत्तहियात पढ़ते समय नमाज में बैठा जाता है यह दुरुस्त तरीका है।
  • फिर अपने दोनों हाथ को कांधे या सीने के सिद्ध तक उठाए या फिर इतना ध्यान रखें कि चेहरा के सीध से उपर हाथ न उठे, अपने दोनों हाथों की हथेलियों को आसमान की ओर करें।
  • ऐसा करना सबसे दुरुस्त और बुलंद तरीका माना जाता है क्यों कि ऐसी सूरत में हथेलियां आसमान की तरफ खुली रहती है और दुआ का किब्ला आसमान है।
  • इसके बाद आप दुरूद शरीफ पढ़ कर अपने दिल से सभी बातों को खुदा तक पहुंचाएं सबसे पहले आपको अल्लाह की तारीफ बयां करना चाहिए।
  • इसके बाद सबसे शुरू अपने लिए दुआ कीजिए कुछ इस तरह से की ऐ अल्लाह हुजूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम के सदके हमे नेक और ईमानदार बना।
  • अपने लिए हर प्रकार की दुआ करने के बाद जैसे अपनी सेहत के लिए अपने इल्म के लिए अपनी तंदुरुस्ती अपनी शिफा और आखिरत वगैरा के दुआ करने के बाद अपने मां बाप के लिए दुआ करें।
  • सभी दुआओं को नरम लहजे और धीमे से आवाज में कहे, और अपने गुनाहों को इकरार जरूर करें दोनों तरीका मुस्तहब माना जाता है।
  • इसके बाद अपने घर परिवार के सभी लोगों के लिए दुनिया में भलाई और आखिरत की भलाई के लिए उनके हक में हुजूर के सदके कहते हुए दुआ करें।
  • फिर इसके बाद लोगों के लिए और दुनिया की खातिर भी दुआ करें इस तरह की ए दोनों जहान के मालिक रब ए कायनात इस दुनियां के सभी लोगों को परेशानी से निजात फरमा।
  • अपने रब के सामने रोए गिड़गिड़ाए इस तरह से कि जैसे एक बच्चा अपनी मां के सामने अपनी इच्छा पूरी कराने के लिए रोता गिड़गिड़ाता है।
  • इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए अपने दिल के अंदर अच्छा से नियत करने के बाद सभी इच्छाओं को अपने रब को सुनाना सबसे अफजल माना जाता है हमारा रब सवाल करने वाले बंदों को पसंद करता है।
  • सभी दुआओं को कम से कम तीन मर्तबा जरुर बोलें, इसे दुरुस्त तरीका माना जाता है, अपने दिल में नेक इरादा कर ले आपकी सभी बातें अल्लाह तक जरूर जाएगी।
  • अपने खूब शौक और लगन के साथ दुआ करें दिल से पूरी कोशिश व लगन से दुआ मांगे और दिल पूरी तरह मुतवज्जह हो और अल्लाह से गुमान रखें।
  • सब अपने लिए घर वालों के लिए और दुनिया वालों के लिए दुआ कर ले तो आखरी वक्त पर ऐसा जरूर कहें की ऐ अल्लाह तू दिलों की बात जानता है हमारे नेक व जायज़ तमानाओं को पुरा फरमा।
  • सभी बन्दों पर निगाह ए करम फरमा, तू सभी की नेक ख्वाहिशों को पुरा फरमा, सभी को बुरे कामों से बचने की तौफीक व रफीक अदा फरमा।
  • इन सभी बातों को कहने के बाद अंत में इसे भी जरूर पढ़े, रब्बना आतिना फिद दुनियां ह स न तवं व फिल आखिरती ह स न तवं व किना अजबन्नार इसके बाद दुरूद शरीफ अंत में पढ़े।
  • सबसे आखरी वक्त में यानी उठने से पहले अपने दोनों हाथों के सहादत और अंगूठे की उंगली को मिलाकर कलिमा शरीफ यानि ला इल्लाह इल अल्लाहु मुहम्मदूर् रसूलल्लाह कह कर चूम लें।

Dua Mangne Ke Liye Baithne Ka Tarika

दुआ के लिए बैठने का सबसे दुरुस्त तरीका यह है कि बाएं पैर को बिछाकर उसपर खूब सीधा बैठ जाएं, यहां पर आपको दाहिना कदम खड़ा करके उसके उंगलियों को किब्ला की ओर रुख दें, जिस तरह से अत्तहियात पढ़ते वक्त नमाज में बैठा जाता है।

यह दुआ मांगने के लिए बैठने का सबसे दुरुस्त तरीका है पलथी मार कर या दोनों पांव को समेट कर बैठना नहीं चाहिए, अगर किसी को दुरुस्त तरीके से बैठने में कोई परेशानी या फिर दिक्कत महसूस हो तो वह किसी भी तरह से बैठ सकता है कोई हर्ज नहीं है।

Dua Karne Ka Tarika

  • किब्ला की तरफ मुंह करके बैठना।
  • हाथों को आसमान की ओर करना।
  • मांगने वालों की तरह दोनों हाथ उपर रखना।
  • दोनों हाथों को खुला रखना।
  • इसके बाद दुरूद शरीफ पढ़ना।
  • अपने लिए हर तरह से दुआ करना।
  • मां बाप घर वालों के लिए दुआ करना।
  • दुनियां की भलाई के लिए दुआ करना।
  • हर दुआ को कम से कम तीन बार बोलना।
  • फिर आखिरी में भी दुरूद शरीफ़ पढ़ना।

दुआ में हाथ उठाने का तरीक़ा

दुआ के लिए हाथ उठाने का चार दुरूस्त तरीका आपके पेशे खिदमत है:-

  1. दोनों हाथों को सीने की सीध में रखें।
  2. अगर ऐसा ना हो तो कंधों की सीधी तक रखें।
  3. या हाथों को चेहरे की सीध तक रखें।
  4. इतने बुलंद हो की बगल की सफेदी नज़र आए।

मगर चौथा तरीका कमिज या कुर्ते में मुमकिन नहीं है, एक बात और ध्यान देना चाहिए कि आपकी हाथों की किब्ला आसमान की तरफ रहे जब भी दुआ करें इन सभी बातों का जरूर ख्याल रखें।

दुआ के लिए समय और हालात

यहां पर कहने का यह मतलब है कि किस समय तथा किन परिस्थितियों में दुआ की कबूलियत की ज्यादा उम्मीद होती है:-
फर्ज नमाज़ों के बाद
तहज्जुद नमाज़ के बाद
रोज ए इफ्तार के वक्त
रमज़ान के पूरे महिने
शब ए बारात की रात
शब ए कदर की रात
शब ए मेराज की रात
परेशानी के वक्त
बारिश के वक्त
हज के वक्त
अज़ान व इकामत के वक्त
जुम्मा के दिन
अरफा के पुरा दिन
जुमेरात की रात को
परेशानी के वक्त
जंग के दौरान
कुरान की तिलावत के बाद
जम जम की पानी पीते वक्त

किन लोगों की दुआ जल्द कुबुल होती है?

ऐसे लोगों का बयान जिनकी दुआ जल्दी बारगाह ए इलाही में कुबूल होती है।
मजबूर व लाचार बे सहारा लोग
मजलूम और सितम रसीदा लोग
बाप की दुआ
इमामे आदिल की दुआ
हर अच्छे काम करने वाले की दुआ
मां बाप की फरमा बरदार की दुआ
मुसाफिर की दुआ
रोजा दार की दुआ
मोमिन की मोमिनों के लिए दुआ
मुज्तर यानि बेचैन व परेशान लोग की दुआ
उमराह करने वालों की दुआ
खुदा की याद करने वाले लोग
तन्हा लोग जिसे अल्लाह के सिवा कोई न दिखाई दे
जमात वालों की दुआ

किन जगहों पर दुआ कुबूल होती है?

यहां पर हम आप जानेंगे की वो कौन कौन सी खास ऐसी जगह है जहां पर दुआ की कबूलियत होने का ज्यादा संभावना जताई जाती है:-
तवाफ की जगह
मुल्तजिम के पास
मिज़ाब के नीचे
बैतुल्लाह के अन्दर
सफा और मरवा पर
मकामे इब्राहिम के पीछे
मैदान ए अरफात में
मुजदलिफा में
मिना में - जहां दसवीं तारीख को हाज़ी जमरों पर  कंकरियां मारते कुर्बानी करते हैं।

कौन सी दुआ नहीं करनी चाहिए?

यहां पर बताए हुए जितनी भी बातें हैं ऐसी दुआ कभी नहीं करनी चाहिए ना ही दुआ करते वक्त इन बातों को शामिल करना चाहिए ऐसा करने से दुआ की कबूलियत नहीं होती और गुनाहगार होते हैं।

दुआ में हद से न बढ़े:- इसका अर्थ यह है कि ऐसी दुआ ना करें जो नामुमकिन हो जैसे आसमान पर चढ़ने की तमन्ना करना इसी तरह से जो चीजें मुहाल या करीब ब मुहाल है उसे ना मांगे हमेशा के लिए तंदुरुस्ती और आफियत दुआ ना मांगे।

लग्व और बे फ़ायदा दुआ न करें:- ऐसी दुआ ना करें जिसका असर आप पर किसी फायदा के रूप में ना हो, और ऐसी दुआ ना करें जो आपके लिए आगे चलकर परेशानी का मकसद बने जैसे इतनी पानी दे की सब खत्म हो जाए फिर पानी खत्म होने की दुआ करना।

गुनाह की दुआ न करें:- इस प्रकार की दुआ ना करें जैसे मुझे पराया माल मिल जाए या कोई फहिशा जिना करे की गुनाह की तलब भी गुनाह है।

ताल्लुक तोड़ने की दुआ:- किसी भी तरह का ऐसी दुआ ना करें जिसमें जिक्र किसी अजीजों से ताल्लुक तोड़ने की हो, जैसे कि इस तरह से दुआ न करें फुलां व फुलां रिश्तेदारों में लड़ाई हो जाए।

मरने की दुआ न मांगे:- कभी भी ऐसी दुआ ना करें जिसमें आप अपने लिए ही मौत की दुआ मांग रहे हैं वह इस प्रकार है कि कुछ लोग रंजो मुसीबत से घबराकर अपने मरने की दुआ करने लगते हैं, नाही किसी को मरने की दुआ करें।

किसी के लिए खराबी की दुआ न करें:- किसी भी मोमिन के लिए यह दुआ ना करें कि वह मुसीबत में पड़ जाए वह काफिर हो जाए ऐसी दुआ करना खुद को गुनाहगार बनाना है।

सिर्फ खुद की अच्छाई के लिए दुआ न करें:- ऐसी कोई दुआ ना करें जिसमें सिर्फ खुद की भलाई का जिक्र हो जैसे इलाही तू मेरी मदद और मगफिरत कर बाकी किसी का भी मदद और मगफिरत नहीं कर ऐसी और भी बातें होती है जिसका जिक्र दुआ में कभी नहीं करना चाहिए।

दुआ में इधर उधर देखने के नुक़्सानात

हमारे और आपके बीच बहुत ऐसे मोमिन भाई बहन हैं जो दुआ के दौरान इधर उधर ताक झांक करते हैं तथा नाखून वगैरह अपने से या अपने दांतो से कुतरते रहते हैं, एक हदीस ए पाक में है की दुआ जब इतनी अजीमोशान इबादत ठहरी तो फिर शैतान क्यूं न इस इबादत में खलल अंदाज़ करें।

हमें और आपको इस बात को जरूर ध्यान रखना होगा कि दुआ मांगते वक्त इधर उधर देखते रहना और नाखून वगैरह से खेलते रहना लापरवाही और गफलत की अलामत है ऐसे में हम सभी को चाहिए कि जब भी दुआ करें जाहिरी बदन की अजीजी वह इंकिसारी के साथ दिल भी हाजिर हो और दुआ की कबूलियत का यकीन भी रखें, इस बात का जरूर ख्याल रखे कि दुआ के दौरान इधर उधर देखने से नजर का कमजोर होने का अंदेशा होता है।

आखिरी बात

हमने इस पैगाम के जरिए आप तक दुआ मांगने का मुक्कमल और दुरुस्त तरीका पहुंचाया है, हम सभी को इसी तरीके से अपने रब से हर चीज के लिए दुआ करनी चाहिए इसमें हमने जाना कि कौन सी बातें हैं दुआ के दौरान नहीं करना चाहिए और किस तरह से दुआ करने से दुआ की कबूलियत की ज्यादा उम्मीद होती है।

हमने इस आर्टिकल को बहुत ही अच्छी और आसान लफ्जों में पेश की है, इस लेख को पढ़ने के बाद आप दुआ मांगने का दुरुस्त तरीका जान गए होंगे हमारा कोशिश अव्वल से लेकर आखिर तक यही रहा है कि हम जानकारी को आसान भाषा और लफ्जों में प्रस्तुत करें जिसे पढ़ने के बाद आप सभी बातों को आसानी से समझ सकें।

हमें इस बात का यकीन हो रहा है कि हम इस कोशिश से कामयाब होते हुए नजर आ रहे हैं, अगर आप कुछ लफ्ज़ बयां करना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स के जरिए अपने बात को हमारे तक जरूर पहुंचाएं और यह पैगाम आपको अच्छा लगा हो तो इसे और लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करें।

My name is Muhammad Ittequaf and I'm the Editor and Writer of Zoseme. I'm a Sunni Muslim From Ranchi, India. I've experience teaching and writing about Islam Since 2019. I'm writing and publishing Islamic content to please Allah SWT and seek His blessings.

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