आज के इस खूबसूरत पैगाम में आप बहुत ही ख़ास शबे मेराज की फजीलत जानेंगे हमने यहां पर शबे मेराज की फजीलत बहुत ही आसान लफ्ज़ों में पेश किया है जिससे आप आसानी से पढ़ कर जान जाएंगे।
हम सब मोमीन और मोमिना के दरमियान शबे मेराज हर साल सातवें महीने में एक रात अज़ीम फजीलत लेकर आता है जिस रात को शबे मेराज की रात से हम सब जानते हैं इसकी फजीलत से कायनात के चारो कोना रौशन है।
हम सभी को इस रात में इबादत ज़रूर करना चाहिए क्योंकी इसकी फजीलत माशाअल्लाह बहुत है इंशाअल्लाह आगे आप इस से रूबरू हो जाएंगे तो आप इस पैग़ाम को आख़िर तक ध्यान से पढ़ें।
Shabe Meraj Ki Fazilat
- शबे मेराज की रात अच्छी नियत से इबादत करने पर दिल से माफी मांगने पर गुनाहों की मगफिरत कर दी जाती है।
- शबे मेराज में नेक काम जैसे इबादत, नमाज, दुआ, सदका वगैरा करने पर नामाए आमाल में 100 बरस के हसनात लिखे जाते हैं।
- एक सबसे खास फजिलत शबे मेराज की यह है कि इस दिन का रोजा रखने से 60 साल के बराबर रोजों का सवाब हासिल होता है।
- शबे मेराज की रात इबादत करने से अल्लाह तबारक व तआला इबादत करने वाले मोमिनों की जान व माल की हिफाज़त करता है।
- शबे मेराज में रहमत का बहाव तेज होता है यही वजह है कि जो भी शबे मेराज में दिल से इबादत करता है उसकी दुआ ख़ुदाए पाक कुबूल करता है।
- शबे मेराज में इबादत की शान बहुत है जिसके कारण शबे मेराज में इबादत करने वाले का दिल तरोताजा और जिंदा हो जाता है।
- शबे मेराज की नमाज पढ़कर दुआ मांगने से अल्लाह तबारक व तआला उस बंदे की हाजत पुरी फरमाता है जिसने नेक दिल से इबादत की और नेक ख्वाहिश की।
- शबे मेराज की नमाज पढ़ने से अल्लाह तआला दुनियावी और दीनी तमाम आफतों से महफूज रखेगा और पुल सिरात का रास्ता इस पर आसान होगा।
शबे मेराज की फजीलत से जुड़ी हदीस
एक हदिस के मुताबिक रजब अजमत वाला महिना है इसमें नेकियों का सवाब दोगुना हो जाता है जो शख्स रजब का एक दिन रोज़ा रखेगा तो उसने साल भर के रोजे रखे।
एक हदिस के मुताबिक इस महिने में अल्लाह तआला ने हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को माबउस फ़रमाया।
रजब की फजीलत बाकी महीनों पर ऐसी है जैसी मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की फजीलत बाकी अंबियाए किराम अलैहिमुस्सलातु वस्सलाम पर है।
शबे मेराज खास क्यों है?
शबे मेराज की रात आसमानों से सत्तर हजार फ़रिश्ते अपने सिरों पर अनवारे इल्लाही के तबक रखे हुए जमीन पर आते हैं और हर उस घर में दाखिल होते हैं जिसमें रहने वाले यादे इलाही में मशगूल रहते हैं।
इन फरिश्तों को इसका हुक्म होता है कि इन नूर के तबाकों को उनके सिरों पर उलट दो जो इस शब कि कद्र करते हैं सुब्हान अल्लाह ऐसी नेमतें उजमा हासिल करने की अल्लाह तआला हर मुसलमान को तौफिक अता फरमाए। आमिन!
शबे मेराज बड़ी बा बरकत रात इस लिए भी है कि इसी रात सैयदूल अंबियाए वल मुरसलीन सलवातुल्लाह अलैहि मेराज शरीफ पर तशरीफ़ ले गए और दिदारे इलाही की दौलत से मुशर्रफ हुए।
इस रात की फजीलत इस वजह से भी ज्यादा है ऐसी मुबारक रात में हुज़ूर फखरे कायनात सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बुलावे खुदावंदी पर आसमानों पर अरूज फ़रमाया और मस्जिद ए अक्सा में अंबियाए साबिकीन और मलायका मुकर्रेबीन की इमामत फरमाई।
इस मुबारक रात में अहकामे ख़ास आप पर नाजिल हुए और आप दिदारे खुदावंदी से सरफराज हुए जो शख्स इस रात को इबादत करता है सआदत मेराज का सवाब उसके नामए आमाल में लिखा जाता है।
FAQs
शबे मेराज की रात को क्या पढ़ना चाहिए?
शबे मेराज की रात शबे मेराज की नफ्ल नमाज, कुरान पाक या सूरह पढ़ना चाहिए।
शबे मेराज में क्या पढ़ा जाता है?
शबे मेराज में शबे मेराज की नफ्ल नमाज पढ़ी जाती है।
मिराज की रात को क्या करना चाहिए?
मिराज की रात ज्यादा से ज्यादा इबादत जैसे कुरान पाक की तिलावत, नमाज, सूरह, कलमा पढ़ने जैसा इबादत करना चाहिए।
आख़िरी बात
आप ने इस पैग़ाम में शबे मेराज की फजीलत को बहुत ही साफ़ और आसान लफ्ज़ों में पढ़कर जाना यकीनन इन सभी बेशुमार फजीलतों से आप ज़रूर रुबरू हो कर हासिल करेंगे जी हां आप जरूर शबे मेराज की फजीलत से मालामाल हो यह आपके लिए बहुत ही ख़ास सवाब है।
अगर अभी भी आपके मन में कुछ डाउट या सवाल हो या फिर यहां पर लिखी बातों में कुछ आपके नजरिए से अलग या गलत लगे तो आप हमसे कॉमेंट करके ज़रूर बोलें हम आपके सभी तरह के सवालों का जवाब ज़रूर दूंगा, हम आपके सवालों का जवाब का खातिर हाज़िर हैं।
वैसे आप को यह पैगाम ज़रूर पसन्द आया होगा साथ ही आप ने यहां से जरूर कुछ न कुछ ख़ास इल्म हासिल किया होगा तो आप ऐसे इल्म अपने तक न सीमित रखें बल्की सभी को बताएं जिससे वो भी इस तरह की फजीलत से रूबरू हो कर हासिल कर लें।